Blue Whale Death Game Description | All Missions Detail | Stay Safe Social Message

Hello Freinds this video is about the trending blue whale game and I strongly suggest you not to playe this game. Please share this video to all of your freinds and inform your family about this game.

Blue Whale Death Game:- 


ब्लू व्हेल गेम रूस के एक संकी बन्दे ने स्टार्ट करा था, खैर उसे पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है पर दुसरे कुछ संकी बन्दों ने इस गेम को दुसरे नामो से भी सुरु कर दिया है. इस गेम को बनाने का मेन मकसद है डीपली डिप्रेस्ड वाले बन्दों को सुसाइड करवाना है. निशांत शर्मा नामक व्यक्ति ने इस ब्लू व्हेल गेम के बारे में पूरी जानकारी दी है जिसकी विडियो की लिंक नीचे है. ब्लू व्हेल गेम की वजह से रूस में 300 से भी ज्यादा लोगो की मौत हो गयी है, ये गेम इसलिए खतरनाक है क्योंकि जब कोई इस गेम में एंटर होता है और इस गेम में लॉग इन होता है तो ये आपके फोन का सारा डाटा अपने सर्वर में अपलोड कर लेता है.
जब कोई इस गेम को छोड़ने की कोशिश करता है तो इस गेम का एडमिनिस्ट्रेटर उन लोगो को ब्लैकमेल करता है. इस गेम का एडमिनिस्ट्रेटर लोगो को हर दिन एक टास्क देता है जो की बहुत ही खतरनाक होते है जैसे की अपने हाथ में ब्लेड से ब्लू व्हेल लिखो, रात को साड़े चार बजे एक डरावनी विडियो देखो और ब्लेड से अपने हाथ में ब्लू व्हेल सिंबल बनाओ.
ऊपर की फोटो में सभी ब्लू व्हेल टास्क दिख रहे है जो की इस गेम का एडमिनिस्ट्रेटर लोगो को एक के बाद एक देता है और अंत में वो आपको सुसाइड करने का टास्क दे देता है. ये गेम अब तो भारत में भी आ चूका है क्योंकि अभी हाल ही में न्यूज़ आई थी कि एक मुंबई के लड़के ने इस ब्लू व्हेल गेम के टास्क करते करते बिल्डिंग से कूदकर सुसाइड कर लिया है. पूरी जानकारी के लिए ऊपर की दी हुई विडियो को जरूर देखे और इस पोस्ट को जो भी देख रहा हो उसे इस पोस्ट को जरूर से जरूर दोस्तों और घरवालों को शेयर करना है क्योंकि एक शेयर किसी की जान बचा सकता है.

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IAS Interview - IAS इंटरव्यू में पूछा कि अगर राष्ट्रपति से कोई हादसा हो जाए तो केस किस के ऊपर होगा?

IAS Interview - IAS इंटरव्यू में पूछा कि अगर राष्ट्रपति से कोई हादसा हो जाए तो केस किस के ऊपर होगा?
भारत में ऐसे कई कम्पटीशन परिक्षाए होती है जैसे की आईएएस, पीसीएस, नेवी, बैंक, पुलिस, एसएससी आदि. सभी परीक्षार्थियों का सपना होता है की कम्पटीशन परीक्षा पास करके सरकारी नौकरी मिले जाए. कम्पटीशन परीक्षा पास करने के लिए स्टूडेंट कड़ी मेहनत करते है. कुछ स्टूडेंट देर रात तक पढ़ते है तो कुछ दिन भर पढ़ते है पर फिर भी पास नहीं हो पाते. आईएएस भारत की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती क्योंकि इस परीक्षा में दुनिया भर से सवाल पूछे जाते है.

भारत के तकरीबन 45 प्रतिशत आईएएस बिहार से है. पीसीएस परीक्षा में भारत से रिलेटेड सवाल पूछे जाते है जबकि एसएससी में करंट अफेयर्स के प्रश्न पूछे जाते है. इन सभी कम्पटीशन परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू होता है. इंटरव्यू पास करने के बाद सरकारी नौकरी मिल जाती है. सभी स्टूडेंट नीचे दिए गए प्रश्न और उत्तर ठीक से याद कर लें क्योंकि ये बहुत इम्पोर्टेन्ट प्रश्न है.

प्रश्न:-
1) रेड इंडियन्स किस देश के निवाशी थे?

2) भारत देश में किस पर टैक्स नहीं लगता?

3) बताइये की ऐसा कौन-सा पक्षी है जो खुद की ही आत्महत्या कर लेता है?

4) राष्ट्रपति के हाथों हादसा होने पर केश किस पर होगा?

5) जूट का सर्वाधिक उत्पाद भारत के कौन से देश में होती है?

उत्तर:- 1) रेड इंडियन्स अमेरिका के निवासी थे, 2) भारत के राष्ट्रपति के वेतन पर टैक्स नहीं लगता, 3) शुतुरगमुर्ग, 4) आर्टिकल 361 में साफतौर पर लिखा है कि किसी भी हादसे के जिम्मेदार राज्य प्रमुख गवर्नर और राष्ट्रपति नहीं होंगे, टॉर्ट के तहत राज्य सरकार पर केश होगा पदस्थापित व्यक्ति पर नहीं और पीड़ित को मुआवज़ा दिया जाएगा, 5) पश्चिम बंगाल.

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IAS Interview में पूछे गए ऐसे 10 Shocking Question जिसे सुन कर हैरान हो जायेंगे आप | IAS कठिन प्रश्न

In this video we will discuss about 10 IAS Interview difficult Question and their Answers. These Questions and Answers is necessary for IAS preparation. all IAS interview questions are in hindi. this video is also a ias motivational video. A ias officer asked these 10 shocking questions from a ias student.

IAS की परीक्षा भारत की सबसे कठिन परीक्षा है क्योंकि इसमें पूरे संसार के ऐसे सवाल पूछते है जिसका जवाब देना सबकी बस की बात नहीं है. IAS की परीक्षा पास करना इतना आसान नहीं है क्योंकि इसके इंटरव्यू में ऐसे अटपटे सवाल पूछे जाते है जिसका जवाब किसी ने सुना भी नहीं होगा, ऐसे ही कुछ अटपटे सवाल के जवाब इस पोस्ट में मिलेंगे. नीचे दिए हुए सवालों के जवान सही से याद कर लें क्योंकि यह सवाल किसी भी कम्पटीशन एग्जाम में पूछा जा सकता है.
1:- लड़की के शरीर का ऐसा कौन-सा हिस्सा है जो खाया भी जा सकता है?
2:- बंगाल की खाड़ी किस देश में है?
3:- इन्टरनेट का मालिक कौन है?
4:- टेलीफोन के डायलिंग पड़ के नंबर का गुणा करने पर क्या नंबर आएगा?
5:- ऐसी कौन-सी चीज है जो पुरुष एक बार करता है और महिला बार-बार करती है?
6:- बिल्ली के तीन बच्चे है जिनका नाम जनवरी, फरवरी और मार्च है, बिल्ली का नाम क्या है?
7:- Interviewer ने आपके प्रवेश करते ही आपसे कहा की मार्कर उठाकर बोर्ड में कुछ लिखो?
8:- वो क्या है जिसमे बहुत सारे छेद होते है पर फिर भी पानी रोक लेता है और पानी को नीचे गिरने नहीं देता है?
9:- ऐसी कौन-सी जगह है जहाँ 100 लोग जाते है तो वह से 101 लोग आते है?
10:- यदि आप एक अँधेरे कमरे में बंद है और आपके पास एक मोमबत्ती, एक लालटेन, एक स्टोव है और एक माचिस भी है तो आप सबसे पहले क्या जलाएंगे?


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The truth of Chanakya's death, nobody knows | चाणक्य की मौत का सच जो कोई नही जानता.


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चाणक्य की महानता के बारें में तो पूरा भारत जानता है, मौर्य समाज की स्थापना करने का पूरा श्रेय चाणक्य का ही माना जाता है. चन्द्रगुप्त मौर्य को कूटनीति सिखाने वाले चाणक्य ही थे, चाणक्य की वजह से ही चन्द्रगुप्त मौर्य मौर्य समाज की स्थापना करने में सफल रहे है. चन्द्रगुप्त की मौत के बाद मौर्य वंशज यानी की चन्द्रगुप्त पुत्र बिन्दुसार को कूटनीति यानी की राजनीतिक ज्ञान चाणक्य ने ही दिया था.
इतिहासकारों के अनुसार बिन्दुसार के दरबार में मौजूद मंत्री सुबुन्द चाणक्य की नीति को नहीं पसंद करता था. वह हमेशा चाणक्य की नीति के विरुद्ध बोलता था क्योंकि वह चाणक्य से इर्ष्या रखता था. चन्द्रगुप्त मौर्य जब जीवित थे तब चाणक्य उनके खाने में थोड़ा-2 जहर मिलाते थे जिसकी वजह से चन्द्रगुप्त पर जहर का कोई असर नहीं होता था.
इतिहासकारों के मुताबिक चन्द्रगुप्त मौर्या की रानी की तबियत घराब हो गई थी और मौर्य समाज वंश खतरे में आ गया था इसी वजह से चाणक्य ने रानी का पेट फाड़कर बच्चे को बहार निकाल लिया था इसी वजह से बिन्दुसार का मंत्री सुबुन्द चाणक्य से इर्ष्या करने लगा था. मंत्री सुबुन्द ने बिन्दुसार को चाणक्य के खिलाफ कर दिया था.
बिन्दुसार ने रानी का बदला लेने के लिए उसने चाणक्य का भरी सभा में अपमान कर दिया था जिसके कारण चाणक्य ने अन्न जल त्याग कर दिया था और इसी वजह से चाणक्य की मौत हो गई थी. कुछ इतिहासकारों का तो यह भी मानना है की राजा बिन्दुसार ने महान चाणक्य की कुटिया में आग लगा दी थी जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी.

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Real Story of Rani Padmavati (Padmini) रानी पद्मावती/पद्मिनी का इतिहास

Real Story of Rani Padmavati (Padmini) रानी पद्मावती/पद्मिनी का इतिहास. Rani Padmavati Story in Hindi | रानी पदमिनी की कहानी | Rani Padmini
The Saga Of Love, Hate, Betrayal & Death : Rani Padmavati (Rani Padmini) & Ala-Ud-Din Khilji
Story Credit:- http://Google.com, http://gyanipandit.com
रानी पद्मावती एक महान रानी थी. कवि मालिक मुहम्मद जयसी ने अपनी एक कविता में रानी पद्मावती के शौर्य और उनकी सुन्दरता का वर्णन किया है. रानी पद्मावती अपनी सुन्दरता के लिये पुरे भारत में जानी जाती थी।
रानी पद्मावती के पिता का नाम गन्धर्व सेन और माता का नाम चम्पावती था. रानी पद्मिनी ने अपना जीवन सिंघाला में ही व्यतीत किया था. उनके पिता ने पद्मावती के विवाह के लिये स्वयंवर भी आयोजित किया था जिसमे आस-पास के सभी हिन्दू-राजपूत राजाओ को आमंत्रित किया गया था। एक छोटे से राज्य के राजा मलखान सिंह भी उनसे विवाह करने के लिये पधारे थे।

चित्तोड़ के राजा रावल रतन सिंह रानी नागमती के होते हुए भी स्वयंवर में आये थे। और उन्होंने मलखान सिंह को पराजित कर पद्मिनी से विवाह भी कर लिया था। क्योकि राजा रावल रतन सिंह स्वयंवर के विजेता थे। स्वयंवर के बाद वे अपनी सुंदर रानी पद्मिनी के साथ चित्तोड़ लौट आये थे।
अलाउद्दीन किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आँच नहीं आने दी।
ईस्वी सन् १३०३ में चित्तौड़ के लूटने वाला अलाउद्दीन खिलजी था जो राजसी सुंदरी रानी पद्मिनी को पाने के लिए लालयित था.
आज भी चित्तोड़ की महिलाओ के जौहर करने की बात को लोग गर्व से याद करते है। जिन्होंने दुश्मनों के साथ रहने की बजाये स्वयं को आग में न्योछावर करने की ठानी थी। राणी पद्मिनी – Rani Padmini के बलिदान को इतिहास में सुवर्ण अक्षरों से लिखा गया है।

you wont believe actually exist!

भारत का ऐसा ऐतिहासिक सच जिसे पकिस्तान माने से इनकार करता है | India's truth which denies Pakistan


भारत का ऐसा सच जिसे पकिस्तान माने से इनकार करता है. सिर्फ 100 रुपए में बात गया हिन्दुस्तान और पाकिस्तान. साल १८७६ से पहले भारत था दोगुना बड़ा जिसे पाकिस्तान मानने से इनकार करता है. भारत में अंग्रेजो का आगमन सन १८०६ में हुआ था. अंग्रेज भरात में व्यापार करने आए थे. उस समय भारत पर जहाँगीर का शासन चल रहा था.
भारत का सबसे पहला विभाजन सन १८७६ म३ हुआ, जिसे अफगानिस्तान के नाम से जाना जाता है.
दूसरा विभाजन नेपाल का हुआ. सन १९०४ में भारत से नेपाल अलग हो गया.
तीसरा विभाजन १९०६ म३ भूटान का हुआ.
चौथा विभाजन तिब्बत का हुआ. सन १९१४ में तिब्बत भारत से अलग हो गया. तिब्बत भारत का सबसे अहम हिस्सा माना जाता था.
पाँचवां विभाजन श्रीलंका का हुआ. सन १९३० में श्रीलंका भारत से अलग हो गया जिसका जिक्र हिन्दू पवित्र किताब रामायण में है.
छठा विभाजन १९३७ में हुआ. विभाजन से पहले इसे ब्रह्मदेश कहा जाता था. यह देश म्यांमार नाम से फेमस था पर अब यह देश बर्मा नाम से फेमस है.
सातवाँ भारत विभाजन १९४७ में बांग्लादेश का हुआ.
आठवाँ विभाजन १९४७ में पाकिस्तान का हुआ. इसका मतलब भारत का विभाजन 8 बार हुआ है, पर इस बात को पाकिस्तान मानने से इनकार करता है.

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The 1947 Partition: अगर भारत और पाकिस्तान साथ होता तो अमेरिका भी पीछे होता | Inside Story of India


अगर भारत और पाकिस्तान साथ होते तो अमेरिका भी भारत से पीछे होता. हर हिन्दुस्तानी और पाकिस्तानी ने अपनी ज़िन्दगी में एक बार तो जरूर सोचा होगा कि यार अगर भारत और पाकिस्तान एक साथ होते तो देश कैसा होता? और फिर दिल कहता है, बहुत सही होता, पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था. अगर भारत और पाकिस्तान एक साथ होते तो नीचे दिए गए वाक्ये हमारे देश में होते.

1. दुनिया की सबसे अच्छी क्रिकेट टीम भारत देश में होती.
2. पाकिस्तान का शालीमार गार्डन भारत में होता.
3. शूफी गाने और शाश्त्री संगीत का मेल होता.
4. भारत देश बेहद अमीर होता.
5. कव्वालियां की आवाज गलियों में गूंजती.
6. पाकिस्तानी कफ़्तान का शानदार स्टाइल और साड़ियों की महीन कारीगरी देख कर दिल खुश हो जाता.
7. बॉलीवुड और पाकिस्तान के टीवी सीरियल्स साथ में देखे जाते.
8. कश्मीर समस्या का हल हो जाती.
9. सबसे ज़्यादा मुस्लिम भारत में होते- भारत के 190 मिलियन मुस्लमान और पाकिस्तान के 178 मिलियन मुसलमान मिल कर एक साथ रहते.
10. डिफ़ेन्स बजट में फालतू खर्चा ना होता.
11. हमारी मिलिट्री पॉवर सबसे मजबूत होती.
12. GDP के मामले में भारत 10वें नंबर पर है और पाकिस्तान 42वें. दोनों देश साथ होते तो हम संभवतः 7वें नंबर पर होते.
13. पढ़ाई की किताबें बदल जातीं.
14. एक दूसरे के त्योहार साथ में मनाते.
15. एक ही पंजाब होता.
16. भारत और पाकिस्तान में किसी रोक-टोक के बिना लोग इधर से उधर आते-जाते रहते.
17. अगर दोनों देश साथ होते तो लड़ाइयां नहीं होतीं, और न ही हमसे कोई लड़ाई करने की सोच पाता.
18. दोनों देशों के बीच कड़वाहट की जगह प्यार होता.

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IAS Interview - IAS इंटरव्यू में एक लड़की से पूछा कि ऐसी कौन-सी चीज जो आधे सेब की तरह ही दिखती है?

IAS Interview - IAS इंटरव्यू में एक लड़की से पूछा कि ऐसी कौन-सी चीज जो आधे सेब की तरह ही दिखती है? IAS इंटरव्यू में एक लड़की से पूछा कि ऐसी कौन-सी चीज जो आधे सेब की तरह ही दिखती है?
आईएएस इंटरव्यू में ऐसे कई टेढ़े मेढ़े प्रश्न पूछे जाते है जिसका उत्तर बेहद कठिन होता है. भारत में आईएएस, नेवी, एसएससी और पीसीएस जैसी कई और कठिन परिक्षाये होती है. न्यूज़ रिपोर्टर के मुताबिक़ आईएएस भारत की सबसे ज्यादा कठिन परीक्षा होती है. कुल आईएएस में से सिर्फ 4 या 5 प्रतिशत ही आईएएस बन पाते है.

आईएएस परीक्षा पास करने के बाद परीक्षार्थी को आईएएस इंटरव्यू देना होता, आईएएस इंटरव्यू में ऐसे टेढ़े-मेढ़े प्रश्न पूछे जाते है जिसका जवाब कुछ लोग ही दे पाते है. ऐसे ही कुछ प्रश्न और उसके उत्तर इस पोस्ट में है, सभी परीक्षार्थी इन प्रश्न और उसके उत्तर को ठीक से याद कर लें.

प्रश्न:-

1) दुनिया में ऐसी कौन-सी चीज है जो आधे सेब की तरह दिखती है?

2) दो जुड़वाँ बच्चे मई में पैदा हुए पर उनका जन्मदिन जून में मनाया जाता है, ऐसा क्यों?

3) बुधवार, शुक्रवार और रविवार का नाम लिए बिना, तीन लगातार आने वाले दिनों का नाम कैसे लिया जा सकता है?

4) एक आदमी नींद के बिना 20 दिनों तक कैसे रह सकता है?

5) वो क्या है जिसे ब्रेकफास्ट से पहले नहीं खाया जा सकता?

उत्तर:- 1) उसी सेब का दूसरा कटा हुआ हिस्सा, 2) क्योंकि मई एक जगह का नाम है, 3) कल, आज और कल, 4) क्योंकि लोग रात को सोते है, 5) लंच और डिनर ब्रेकफ़ास्ट से पहले नहीं खाया जा सकता.

Salman khan Earnings | Salman khan real life stories in hindi | Salman khan is real life hero

Salman khan is an Indian film actor, producer, television personality, singer and philanthropist. In a film career spanning more than twenty five years, Khan has received numerous awards, including two National Film Awards as a producer, and two Filmfare Awards as an actor. Described by the CNN as one of the world's biggest stars, he has a significant following in Asia and the Indian diaspora worldwide, and is cited in the media as one of the most popular and commercially successful actors of Indian cinema.

The son of screenwriter Salim, Khan began his acting career with a supporting role in Biwi Ho To Aisi (1988) and achieved breakthrough with a leading role in his next release—Sooraj Barjatya's romance Maine Pyar Kiya (1989). Khan went on to establish himself in Bollywood in the 1990s with roles in several top-grossing productions, including the romantic drama Hum Aapke Hain Koun..! (1994), the action thriller Karan Arjun (1995), the comedy Biwi No.1 (1999), and the family drama Hum Saath-Saath Hain (1999). For his role in Karan Johar's romantic drama Kuch Kuch Hota Hai (1998), Khan was awarded the Filmfare Award for Best Supporting Actor. After a brief period of decline in the 2000s, Khan achieved greater stardom in the 2010 by playing the lead role in several successful action films, including Dabangg (2010), Bodyguard (2011), Ek Tha Tiger (2012), Kick (2014), Prem Ratan Dhan Payo (2015), Bajrangi Bhaijaan (2015) and Sultan (2016) all rank among the highest-grossing Bollywood films of all time. Ten of the films in which Khan has acted in have accumulated gross earnings of over ₹1 billion (US$16 million). He is the only actor to star in the highest-grossing Bollywood films of nine separate years. Khan topped Forbes India charts for 2014, in terms of both fame and revenues. According to the Forbes 2015 list of 'Celebrity 100 : The World's Top-Paid Entertainers 2015', Khan was the highest ranked Indian in 71st rank with earnings of $33.5 million.

In addition to his acting career, Khan is a stage performer and an active humanitarian through his charity non-profit organisation, Being Human. Khan's off-screen life is marred by controversy and legal troubles. His tumultuous relationship with Aishwarya Rai, his hunting of endangered species, and a negligent driving case in which he ran over five people with his car, killing one, have been extensively covered by the Indian media. For the last of these, Khan was sentenced to five years' imprisonment in 2015, but was later acquitted.

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https://youtu.be/G8O9wyH7oZ4

The 1947 Partition: Inside Story India Pakistan Partition | Bharat Pakistan Partition in Hindi



भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर तैयार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के आधार पर किया गया। इस अधिनियम में काहा गया कि 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वायत्त्योपनिवेश बना दिए जाएंगें और उनको ब्रितानी सरकार सत्ता सौंप देगी।[1] स्वतंत्रता के साथ ही 14 अगस्त को पाकिस्तान अधिराज्य (बाद में इस्लामी जम्हूरिया ए पाकिस्तान) और 15 अगस्त को भारतीय संध (बाद में भारत गणराज्य) की संस्थापना की गई। इस घटनाक्रम में मुख्यतः ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बाँट दिया गया और इसी तरह ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत को पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और भारत के पंजाब राज्य में बाँट दिया गया। इसी दौरान ब्रिटिश भारत में से सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा (अब म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है। इसी तरह 1971 में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश की स्थापना को भी इस घटनाक्रम में नहीं गिना जाता है। (नेपाल और भूटान इस दौरान भी स्वतंत्र राज्य थे और इस बंटवारे से प्रभावित नहीं हुए।)
15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत और पाकिस्तान कानूनी तौर पर दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। लेकिन पाकिस्तान की सत्ता परिवर्तन की रस्में 14 अगस्त को कराची में की गईं ताकि आखिरी ब्रिटिश वाइसराॅय लुइस माउंटबैटनकरांची और नई दिल्ली दोनों जगह की रस्मों में हिस्सा ले सके। इसलिए पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त और भारत में 15 अगस्त को मनाया जाता है।
भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख[2] लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।
भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में "फूट डालो और राज्य करो" की नीति का अनुसरण किया। उन्होंने भारत के नागरिकों को संप्रदाय के अनुसार अलग-अलग समूहों में बाँट कर रखा। उनकी कुछ नीतियाँ हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करती थीं तो कुछ मुसलमानों के प्रति। 20वीं सदी आते-आते मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे और हिन्दुओं को लगने लगा कि ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेता मुसलमानों को विशेषाधिकार देने और हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करने में लगे हैं। इसलिए भारत में जब आज़ादी की भावना उभरने लगी तो आज़ादी की लड़ाई को नियंत्रित करने में दोनों संप्रदायों के नेताओं में होड़ रहने लगी।
सन् 1906 में ढाका में बहुत से मुसलमान नेताओं ने मिलकर मुस्लिम लीग की स्थापना की। इन नेताओं का विचार था कि मुसलमानों को बहुसंख्यक हिन्दुओं से कम अधिकार उपलब्ध थे तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करती थी। मुस्लिम लीग ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग मांगें रखीं। 1930 में मुस्लिम लीग के सम्मेलन में प्रसिद्ध उर्दू कवि मुहम्मद इक़बाल ने एक भाषण में पहली बार मुसलमानों के लिए एक अलग राज्य की माँग उठाई।[तथ्य वांछित] 1935 में सिंध प्रांत की विधान सभा ने भी यही मांग उठाई। इक़बाल और मौलाना मुहम्मद अली जौहर ने मुहम्मद अली जिन्ना को इस मांग का समर्थन करने को कहा।[तथ्य वांछित] इस समय तक जिन्ना हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्ष में लगते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होने आरोप लगाना शुरू कर दिया कि कांग्रेसी नेता मुसलमानों के हितों पर ध्यान नहीं दे रहे। लाहौर में 1940 के मुस्लिम लीग सम्मेलन में जिन्ना ने साफ़ तौर पर कहा कि वह दो अलग-अलग राष्ट्र चाहते हैं
"हिन्दुओं और मुसलमानों के धर्म, विचारधाराएँ, रीति-रिवाज़ और साहित्य बिलकुल अलग-अलग हैं।.. एक राष्ट्र बहुमत में और दूसरा अल्पमत में, ऐसे दो राष्ट्रों को साथ बाँध कर रखने से असंतोष बढ़ कर रहेगा और अंत में ऐसे राज्य की बनावट का विनाश हो कर रहेगा।"[तथ्य वांछित]
हिन्दू महासभा जैसे हिन्दू संगठन भारत के बंटवारे के प्रबल विरोधी थे, लेकिन मानते थे कि हिन्दुओं और मुसलमानों में मतभेद हैं। 1937 में इलाहाबाद में हिन्दू महासभा के सम्मेलन में एक भाषण में वीर सावरकर ने कहा था - आज के दिन भारत एक राष्ट्र नहीं है, यहाँ पर दो राष्ट्र हैं-हिन्दू और मुसलमान।[3] कांग्रेस के अधिकतर नेता पंथ-निरपेक्ष थे और संप्रदाय के आधार पर भारत का विभाजन करने के विरुद्ध थे। महात्मा गांधी का विश्वास था कि हिन्दू और मुसलमान साथ रह सकते हैं और उन्हें साथ रहना चाहिये। उन्होंने विभाजन का घोर विरोध किया: "मेरी पूरी आत्मा इस विचार के विरुद्ध विद्रोह करती है कि हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी मत और संस्कृतियाँ हैं। ऐसे सिद्धांत का अनुमोदन करना मेरे लिए ईश्वर को नकारने के समान है।"[तथ्य वांछित] बहुत सालों तक गांधी और उनके अनुयायियों ने कोशिश की कि मुसलमान कांग्रेस को छोड़ कर न जाएं और इस प्रक्रिया में हिन्दू और मुसलमान गरम दलों के नेता उनसे बहुत चिढ़ गए।
अंग्रेजों ने योजनाबद्ध रूप से हिन्दू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के प्रति शक को बढ़ावा दिया। मुस्लिम लीग ने अगस्त 1946 में सिधी कार्यवाही दिवस मनाया और कलकत्ता में भीषण दंगे किये जिसमें करीब 5000 लोग मारे गये और बहुत से घायल हुए। ऐसे माहौल में सभी नेताओं पर दबाव पड़ने लगा कि वे विभाजन को स्वीकार करें ताकि देश पूरी तरह युद्ध की स्थिति में न आ जाए।

विभाजन की प्रक्रिया[संपादित करें]

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भारत के विभाजन के ढांचे को '3 जून प्लान' या माउण्टबैटन योजना का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमारेखा लंदन के वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने तय की। हिन्दू बहुमत वाले इलाके भारत में और मुस्लिम बहुमत वाले इलाके पाकिस्तान में शामिल किए गए। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। इस समय ब्रिटिश भारत में बहुत से राज्य थे जिनके राजाओं के साथ ब्रिटिश सरकार ने तरह-तरह के समझौते कर रखे थे। इन 565 राज्यों को आज़ादी दी गयी कि वे चुनें कि वे भारत या पाकिस्तान किस में शामिल होना चाहेंगे। अधिकतर राज्यों ने बहुमत धर्म के आधार पर देश चुना। जिन राज्यों के शासकों ने बहुमत धर्म के अनुकूल देश चुना उनके एकीकरण में काफ़ी विवाद हुआ (देखें भारत का राजनैतिक एकीकरण)। विभाजन के बाद पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया और भारत ने ब्रिटिश भारत की कुर्सी संभाली।[4]

संपत्ति का बंटवारा[संपादित करें]

ब्रिटिश भारत की संपत्ति को दोनों देशों के बीच बाँटा गया लेकिन यह प्रक्रिया बहुत लंबी खिंचने लगी। गांधीजी ने भारत सरकार पर दबाव डाला कि वह पाकिस्तान को धन जल्दी भेजे जबकि इस समय तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरु हो चुका था और दबाव बढ़ाने के लिए अनशन शुरु कर दिया। भारत सरकार को इस दबाव के आगे झुकना पड़ा और पाकिस्तान को धन भेजना पड़ा।२२ अक्टूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को ५५ करोड़ रुपये की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।                                  नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी के इस काम को उनकी हत्या करने का एक कारण बताया।[तथ्य वांछित]

दंगा फ़साद[संपादित करें]

बहुत से विद्वानों का मत है कि ब्रिटिश सरकार ने विभाजन की प्रक्रिया को ठीक से नहीं संभाला। चूंकि स्वतंत्रता की घोषणा पहले और विभाजन की घोषणा बाद में की गयी, देश में शांति कायम रखने की जिम्मेवारी भारत और पाकिस्तान की नयी सरकारों के सर पर आई। किसी ने यह नहीं सोचा था कि बहुत से लोग इधर से उधर जाएंगे। लोगों का विचार था कि दोनों देशों में अल्पमत संप्रदाय के लोगों के लिए सुरक्षा का इंतज़ाम किया जाएगा। लेकिन दोनों देशों की नयी सरकारों के पास हिंसा और अपराध से निबटने के लिए आवश्यक इंतज़ाम नहीं था। फलस्वरूप दंगा फ़साद हुआ और बहुत से लोगों की जाने गईं और बहुत से लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। अंदाज़ा लगाया जाता है कि इस दौरान लगभग 5 लाख से 30 लाख लोग मारे गये[तथ्य वांछित], कुछ दंगों में, तो कुछ यात्रा की मुश्किलों से।

जन स्थानांतरण[संपादित करें]


विभाजन के दौरान पंजाब में एक ट्रेन पर शरणार्थी
विभाजन के बाद के महीनों में दोनों नये देशों के बीच विशाल जन स्थानांतरण हुआ। पाकिस्तान में बहुत से हिन्दुओं और सिखों को बलात् बेघर कर दिया गया। लेकिन भारत में गांधीजी ने कांग्रेस पर दबाव डाला और सुनिश्चित किया कि मुसलमान अगर चाहें तो भारत में रह सकें। सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने हिंसा के डर से सीमा पार करके बहुमत संप्रदाय के देश में शरण ली। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।[तथ्य वांछित] इसमें से 78 प्रतिशत स्थानांतरण पश्चिम में, मुख्यतया पंजाब में हुआ।

शरणार्थी[संपादित करें]

भारत में आए शरणार्थी पश्चिम में मुख्यतः पंजाब और दिल्ली में और पूर्व में मुख्यतः पश्चिम बंगालअसम और त्रिपुरा में बसाए गए। सिंध से आए शरणार्थी गुजरात और राजस्थान में बसे। पंजाबी बोलने वाले मुस्लिम मुख्यतः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बसे और जल्दी ही वहाँ सम्मिलित हो गए। लेकिन उर्दू बोलने वाले मुस्लिम जो दिल्लीउत्तर प्रदेशहैदराबाद और अन्य प्रांतों से पाकिस्तान गए उन्हें वहाँ बसने और सम्मिलित होने में बहुत कठिनाइयाँ आईं। इन शरणार्थियों को मुहाजिर का नाम दिया गया।

साहित्य और सिनेमा में भारत का विभाजन[संपादित करें]

भारत के विभाजन और उसके साथ हुए दंगे-फ़साद पर कई लेखकों ने उपन्यास और कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से मुख्य हैं,
पिंजर को फिल्म और तमस को प्रसिद्ध दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में रूपांतरित किया गया है। इसके अलावा गरम हवादीपा महता की अर्थ (ज़मीन), कमल हसन की हे राम भी भारत के विभाजन पर आधारित हैं।


https://youtu.be/43AShX_lMAA


Rajkumari Sanyogita history in hindi | Sanyogita history | Sanyogita Sati story

संयुक्ता, संयोगिता, संजूक्त, या संयूता के नाम से भी जाना जाता है, मध्ययुगीन वीर रोमांस में एक चरित्र है, जिसे पृथ्वीराज रासो कहते हैं, जो कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी और पृथ्वीराज चौहान की तीन पत्नियों में से एक थे। [1] पृथ्वीराज चौहान मध्ययुगीन भारत के लोककथाओं से रोमांस और शौर्य हैं, और यह भी त्रासदी का एक आंकड़ा है, जिसने पिथौरागढ़ और अजमेर की अपनी दो श्रेणियों से शासन किया है। पृथ्वीराज और संयुक्त रूप से प्यार भारत के सबसे लोकप्रिय मध्ययुगीन रोमांसों में से एक है, चंद बरदाई के महाकाव्य पृथ्वीराज रास (या चांद राइसा) में अमरता है, लेकिन संयुक्त प्रकरण की ऐतिहासिकता बहस का मामला है।
संयोगिता की ऐतिहासिकता बहस का मामला है। पृथ्वीराज रासो एक ऐतिहासिक अविश्वसनीय पाठ है, जिसे 16 वीं शताब्दी के बाद से राजपूत शासकों के संरक्षण में सुशोभित किया गया है। हालांकि, दशरथ शर्मा जैसे कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि अधिक विश्वसनीय पृथ्वीराज विजया, जो पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में बनाये गये थे, में भी सम्यक्त का एक संदर्भ है।
पृथ्वीराज विजया के 11 वें अध्याय में एक अधूरा विषय, पृथ्वीराज के गंगा नदी के किनारे पर रहने वाले एक अनाम महिला के प्रेम का उल्लेख करता है (जैसे संयुक्ता)। इस महिला को तिलोटामा के अवतार के रूप में उल्लेख किया गया है, एक महान अप्सरा (आकाशीय अप्सरा)। [4] हालांकि, यहां तक ​​कि अगर यह महिला समयुक्ता के समान है, तो पृथ्वीराज रासो का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, संयुका के अपहरण और विवाह के संबंध में पृथ्वीराज चौहान को।

Rajkumari Sanyogita history in hindi | Sanyogita history | Sanyogita Sati story.

Sanyukta, also known as Sanyogita, Sanjukta, or Samyukta, is a character in the medieval heroic romance Prithviraj Raso who is said to have been the daughter of Jaichand, the King of Kannauj, and one of three wives of Prithviraj Chauhan .[1] Prithviraj Chauhan is a popular figure of romance and chivalry from the folklore of medieval India, and also a figure of tragedy, who is said to have ruled from his twin capitals of Pithoragarh and Ajmer. The love between Prithviraj and Samyukta is one of India's most popular medieval romances, immortalized in Chand Bardai’s epic Prithviraj Raso (or, Chand Raisa), but the historicity of the Samyukta episode remains a matter of debate.
The historicity of Samyogita is a matter of debate. Prithviraj Raso is a historically unreliable text, having been embellished under the patronage of the Rajput rulers since the 16th century. However, some scholars such as Dasharatha Sharma believe that the more reliable Prithviraja Vijaya, which was composed during the reign of Prithviraj Chauhan, also contains a reference to Samyukta.
An unfinished theme in the 11th chapter of Prithviraja Vijaya refers to Prithviraj's love for an unnamed woman who lived on the banks of the Ganges river (just like Samyukta). This woman is mentioned as an incarnation of Tilottama, a legendary apsara (celestial nymph).[4] However, even if this woman is same as Samyukta, there is no concrete evidence to support the Prithviraj Raso narrative of Samyuka's abduction and marriage to Prithviraj Chauhan.

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JIO SECRET EXPOSED | WHY MUKESH AMBANI INVESTS Rs.1.5 LAAKH CRORE in JIO SIM



Reliance Jio Infocomm Limited, doing business as Jio, is a LTE mobile network operator in India, which is a wholly owned subsidiary of Reliance Industries headquartered in Mumbai, that provides wireless 4G LTE services (without 2G/3G based services) and is the only 100% VoLTE operator in the country, with coverage across all 22 telecom circles in India.

The services were first beta-launched to Jio's partners and employees on 27 December 2015 on the eve of 83rd birth anniversary of late Dhirubhai Ambani, founder of Reliance Industries, and later services were commercially launched on 5 September 2016.

The company will launch its 4G broadband services throughout India in the first quarter of 2016-2017 financial year.

Mukesh Dhirubhai Ambani is an Indian business magnate who is the chairman, managing director and largest shareholder of Reliance Industries Limited, a Fortune Global 500 company and India's second-most valuable company by market value. Mukesh is married to Nita Ambani and has two sons, Anant and Akash, and a daughter, Isha. They live in a private 27-storey building in Mumbai named Antilia valued at US$1 billion and it is said to be one of the most expensive homes ever built.

https://youtu.be/2jaEvMlWUPc