Salman khan Earnings | Salman khan real life stories in hindi | Salman khan is real life hero

Salman khan is an Indian film actor, producer, television personality, singer and philanthropist. In a film career spanning more than twenty five years, Khan has received numerous awards, including two National Film Awards as a producer, and two Filmfare Awards as an actor. Described by the CNN as one of the world's biggest stars, he has a significant following in Asia and the Indian diaspora worldwide, and is cited in the media as one of the most popular and commercially successful actors of Indian cinema.

The son of screenwriter Salim, Khan began his acting career with a supporting role in Biwi Ho To Aisi (1988) and achieved breakthrough with a leading role in his next release—Sooraj Barjatya's romance Maine Pyar Kiya (1989). Khan went on to establish himself in Bollywood in the 1990s with roles in several top-grossing productions, including the romantic drama Hum Aapke Hain Koun..! (1994), the action thriller Karan Arjun (1995), the comedy Biwi No.1 (1999), and the family drama Hum Saath-Saath Hain (1999). For his role in Karan Johar's romantic drama Kuch Kuch Hota Hai (1998), Khan was awarded the Filmfare Award for Best Supporting Actor. After a brief period of decline in the 2000s, Khan achieved greater stardom in the 2010 by playing the lead role in several successful action films, including Dabangg (2010), Bodyguard (2011), Ek Tha Tiger (2012), Kick (2014), Prem Ratan Dhan Payo (2015), Bajrangi Bhaijaan (2015) and Sultan (2016) all rank among the highest-grossing Bollywood films of all time. Ten of the films in which Khan has acted in have accumulated gross earnings of over ₹1 billion (US$16 million). He is the only actor to star in the highest-grossing Bollywood films of nine separate years. Khan topped Forbes India charts for 2014, in terms of both fame and revenues. According to the Forbes 2015 list of 'Celebrity 100 : The World's Top-Paid Entertainers 2015', Khan was the highest ranked Indian in 71st rank with earnings of $33.5 million.

In addition to his acting career, Khan is a stage performer and an active humanitarian through his charity non-profit organisation, Being Human. Khan's off-screen life is marred by controversy and legal troubles. His tumultuous relationship with Aishwarya Rai, his hunting of endangered species, and a negligent driving case in which he ran over five people with his car, killing one, have been extensively covered by the Indian media. For the last of these, Khan was sentenced to five years' imprisonment in 2015, but was later acquitted.

THANK YOU GUYS FOR WATCHING MY VIDEO.

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------------------------------------
FOLLOW US ON:-
Twitter:- https://twitter.com/yeswecan8840
Google Plus:-https://plus.google.com/101382075059864733657

LIKE MY FACEBOOK PAGE :- https://www.facebook.com/Nishant-the-Youtuber-1284151424981792/

tags:-
Salman khan Earnings,
Salman khan real life stories in hindi,
Salman khan is real life hero,
Salman khan life biography in hindi

https://youtu.be/G8O9wyH7oZ4

The 1947 Partition: Inside Story India Pakistan Partition | Bharat Pakistan Partition in Hindi



भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर तैयार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम १९४७ के आधार पर किया गया। इस अधिनियम में काहा गया कि 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो स्वायत्त्योपनिवेश बना दिए जाएंगें और उनको ब्रितानी सरकार सत्ता सौंप देगी।[1] स्वतंत्रता के साथ ही 14 अगस्त को पाकिस्तान अधिराज्य (बाद में इस्लामी जम्हूरिया ए पाकिस्तान) और 15 अगस्त को भारतीय संध (बाद में भारत गणराज्य) की संस्थापना की गई। इस घटनाक्रम में मुख्यतः ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बाँट दिया गया और इसी तरह ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत को पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और भारत के पंजाब राज्य में बाँट दिया गया। इसी दौरान ब्रिटिश भारत में से सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा (अब म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है। इसी तरह 1971 में पाकिस्तान के विभाजन और बांग्लादेश की स्थापना को भी इस घटनाक्रम में नहीं गिना जाता है। (नेपाल और भूटान इस दौरान भी स्वतंत्र राज्य थे और इस बंटवारे से प्रभावित नहीं हुए।)
15 अगस्त 1947 की आधी रात को भारत और पाकिस्तान कानूनी तौर पर दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। लेकिन पाकिस्तान की सत्ता परिवर्तन की रस्में 14 अगस्त को कराची में की गईं ताकि आखिरी ब्रिटिश वाइसराॅय लुइस माउंटबैटनकरांची और नई दिल्ली दोनों जगह की रस्मों में हिस्सा ले सके। इसलिए पाकिस्तान में स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त और भारत में 15 अगस्त को मनाया जाता है।
भारत के विभाजन से करोड़ों लोग प्रभावित हुए। विभाजन के दौरान हुई हिंसा में करीब 5 लाख[2] लोग मारे गए और करीब 1.45 करोड़ शरणार्थियों ने अपना घर-बार छोड़कर बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली।
भारत के ब्रिटिश शासकों ने हमेशा ही भारत में "फूट डालो और राज्य करो" की नीति का अनुसरण किया। उन्होंने भारत के नागरिकों को संप्रदाय के अनुसार अलग-अलग समूहों में बाँट कर रखा। उनकी कुछ नीतियाँ हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करती थीं तो कुछ मुसलमानों के प्रति। 20वीं सदी आते-आते मुसलमान हिन्दुओं के बहुमत से डरने लगे और हिन्दुओं को लगने लगा कि ब्रिटिश सरकार और भारतीय नेता मुसलमानों को विशेषाधिकार देने और हिन्दुओं के प्रति भेदभाव करने में लगे हैं। इसलिए भारत में जब आज़ादी की भावना उभरने लगी तो आज़ादी की लड़ाई को नियंत्रित करने में दोनों संप्रदायों के नेताओं में होड़ रहने लगी।
सन् 1906 में ढाका में बहुत से मुसलमान नेताओं ने मिलकर मुस्लिम लीग की स्थापना की। इन नेताओं का विचार था कि मुसलमानों को बहुसंख्यक हिन्दुओं से कम अधिकार उपलब्ध थे तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करती थी। मुस्लिम लीग ने अलग-अलग समय पर अलग-अलग मांगें रखीं। 1930 में मुस्लिम लीग के सम्मेलन में प्रसिद्ध उर्दू कवि मुहम्मद इक़बाल ने एक भाषण में पहली बार मुसलमानों के लिए एक अलग राज्य की माँग उठाई।[तथ्य वांछित] 1935 में सिंध प्रांत की विधान सभा ने भी यही मांग उठाई। इक़बाल और मौलाना मुहम्मद अली जौहर ने मुहम्मद अली जिन्ना को इस मांग का समर्थन करने को कहा।[तथ्य वांछित] इस समय तक जिन्ना हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्ष में लगते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होने आरोप लगाना शुरू कर दिया कि कांग्रेसी नेता मुसलमानों के हितों पर ध्यान नहीं दे रहे। लाहौर में 1940 के मुस्लिम लीग सम्मेलन में जिन्ना ने साफ़ तौर पर कहा कि वह दो अलग-अलग राष्ट्र चाहते हैं
"हिन्दुओं और मुसलमानों के धर्म, विचारधाराएँ, रीति-रिवाज़ और साहित्य बिलकुल अलग-अलग हैं।.. एक राष्ट्र बहुमत में और दूसरा अल्पमत में, ऐसे दो राष्ट्रों को साथ बाँध कर रखने से असंतोष बढ़ कर रहेगा और अंत में ऐसे राज्य की बनावट का विनाश हो कर रहेगा।"[तथ्य वांछित]
हिन्दू महासभा जैसे हिन्दू संगठन भारत के बंटवारे के प्रबल विरोधी थे, लेकिन मानते थे कि हिन्दुओं और मुसलमानों में मतभेद हैं। 1937 में इलाहाबाद में हिन्दू महासभा के सम्मेलन में एक भाषण में वीर सावरकर ने कहा था - आज के दिन भारत एक राष्ट्र नहीं है, यहाँ पर दो राष्ट्र हैं-हिन्दू और मुसलमान।[3] कांग्रेस के अधिकतर नेता पंथ-निरपेक्ष थे और संप्रदाय के आधार पर भारत का विभाजन करने के विरुद्ध थे। महात्मा गांधी का विश्वास था कि हिन्दू और मुसलमान साथ रह सकते हैं और उन्हें साथ रहना चाहिये। उन्होंने विभाजन का घोर विरोध किया: "मेरी पूरी आत्मा इस विचार के विरुद्ध विद्रोह करती है कि हिन्दू और मुसलमान दो विरोधी मत और संस्कृतियाँ हैं। ऐसे सिद्धांत का अनुमोदन करना मेरे लिए ईश्वर को नकारने के समान है।"[तथ्य वांछित] बहुत सालों तक गांधी और उनके अनुयायियों ने कोशिश की कि मुसलमान कांग्रेस को छोड़ कर न जाएं और इस प्रक्रिया में हिन्दू और मुसलमान गरम दलों के नेता उनसे बहुत चिढ़ गए।
अंग्रेजों ने योजनाबद्ध रूप से हिन्दू और मुसलमान दोनों संप्रदायों के प्रति शक को बढ़ावा दिया। मुस्लिम लीग ने अगस्त 1946 में सिधी कार्यवाही दिवस मनाया और कलकत्ता में भीषण दंगे किये जिसमें करीब 5000 लोग मारे गये और बहुत से घायल हुए। ऐसे माहौल में सभी नेताओं पर दबाव पड़ने लगा कि वे विभाजन को स्वीकार करें ताकि देश पूरी तरह युद्ध की स्थिति में न आ जाए।

विभाजन की प्रक्रिया[संपादित करें]

Partition of India-en.svg
भारत के विभाजन के ढांचे को '3 जून प्लान' या माउण्टबैटन योजना का नाम दिया गया। भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमारेखा लंदन के वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने तय की। हिन्दू बहुमत वाले इलाके भारत में और मुस्लिम बहुमत वाले इलाके पाकिस्तान में शामिल किए गए। 18 जुलाई 1947 को ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया जिसमें विभाजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया। इस समय ब्रिटिश भारत में बहुत से राज्य थे जिनके राजाओं के साथ ब्रिटिश सरकार ने तरह-तरह के समझौते कर रखे थे। इन 565 राज्यों को आज़ादी दी गयी कि वे चुनें कि वे भारत या पाकिस्तान किस में शामिल होना चाहेंगे। अधिकतर राज्यों ने बहुमत धर्म के आधार पर देश चुना। जिन राज्यों के शासकों ने बहुमत धर्म के अनुकूल देश चुना उनके एकीकरण में काफ़ी विवाद हुआ (देखें भारत का राजनैतिक एकीकरण)। विभाजन के बाद पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र में नए सदस्य के रूप में शामिल किया गया और भारत ने ब्रिटिश भारत की कुर्सी संभाली।[4]

संपत्ति का बंटवारा[संपादित करें]

ब्रिटिश भारत की संपत्ति को दोनों देशों के बीच बाँटा गया लेकिन यह प्रक्रिया बहुत लंबी खिंचने लगी। गांधीजी ने भारत सरकार पर दबाव डाला कि वह पाकिस्तान को धन जल्दी भेजे जबकि इस समय तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरु हो चुका था और दबाव बढ़ाने के लिए अनशन शुरु कर दिया। भारत सरकार को इस दबाव के आगे झुकना पड़ा और पाकिस्तान को धन भेजना पड़ा।२२ अक्टूबर १९४७ को पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया, उससे पूर्व माउण्टबैटन ने भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार को ५५ करोड़ रुपये की राशि देने का परामर्श दिया था। केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने आक्रमण के दृष्टिगत यह राशि देने को टालने का निर्णय लिया किन्तु गान्धी ने उसी समय यह राशि तुरन्त दिलवाने के लिए आमरण अनशन शुरू कर दिया जिसके परिणामस्वरूप यह राशि पाकिस्तान को भारत के हितों के विपरीत दे दी गयी।                                  नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी के इस काम को उनकी हत्या करने का एक कारण बताया।[तथ्य वांछित]

दंगा फ़साद[संपादित करें]

बहुत से विद्वानों का मत है कि ब्रिटिश सरकार ने विभाजन की प्रक्रिया को ठीक से नहीं संभाला। चूंकि स्वतंत्रता की घोषणा पहले और विभाजन की घोषणा बाद में की गयी, देश में शांति कायम रखने की जिम्मेवारी भारत और पाकिस्तान की नयी सरकारों के सर पर आई। किसी ने यह नहीं सोचा था कि बहुत से लोग इधर से उधर जाएंगे। लोगों का विचार था कि दोनों देशों में अल्पमत संप्रदाय के लोगों के लिए सुरक्षा का इंतज़ाम किया जाएगा। लेकिन दोनों देशों की नयी सरकारों के पास हिंसा और अपराध से निबटने के लिए आवश्यक इंतज़ाम नहीं था। फलस्वरूप दंगा फ़साद हुआ और बहुत से लोगों की जाने गईं और बहुत से लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। अंदाज़ा लगाया जाता है कि इस दौरान लगभग 5 लाख से 30 लाख लोग मारे गये[तथ्य वांछित], कुछ दंगों में, तो कुछ यात्रा की मुश्किलों से।

जन स्थानांतरण[संपादित करें]


विभाजन के दौरान पंजाब में एक ट्रेन पर शरणार्थी
विभाजन के बाद के महीनों में दोनों नये देशों के बीच विशाल जन स्थानांतरण हुआ। पाकिस्तान में बहुत से हिन्दुओं और सिखों को बलात् बेघर कर दिया गया। लेकिन भारत में गांधीजी ने कांग्रेस पर दबाव डाला और सुनिश्चित किया कि मुसलमान अगर चाहें तो भारत में रह सकें। सीमा रेखाएं तय होने के बाद लगभग 1.45 करोड़ लोगों ने हिंसा के डर से सीमा पार करके बहुमत संप्रदाय के देश में शरण ली। 1951 की विस्थापित जनगणना के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए।[तथ्य वांछित] इसमें से 78 प्रतिशत स्थानांतरण पश्चिम में, मुख्यतया पंजाब में हुआ।

शरणार्थी[संपादित करें]

भारत में आए शरणार्थी पश्चिम में मुख्यतः पंजाब और दिल्ली में और पूर्व में मुख्यतः पश्चिम बंगालअसम और त्रिपुरा में बसाए गए। सिंध से आए शरणार्थी गुजरात और राजस्थान में बसे। पंजाबी बोलने वाले मुस्लिम मुख्यतः पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बसे और जल्दी ही वहाँ सम्मिलित हो गए। लेकिन उर्दू बोलने वाले मुस्लिम जो दिल्लीउत्तर प्रदेशहैदराबाद और अन्य प्रांतों से पाकिस्तान गए उन्हें वहाँ बसने और सम्मिलित होने में बहुत कठिनाइयाँ आईं। इन शरणार्थियों को मुहाजिर का नाम दिया गया।

साहित्य और सिनेमा में भारत का विभाजन[संपादित करें]

भारत के विभाजन और उसके साथ हुए दंगे-फ़साद पर कई लेखकों ने उपन्यास और कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से मुख्य हैं,
पिंजर को फिल्म और तमस को प्रसिद्ध दूरदर्शन धारावाहिक के रूप में रूपांतरित किया गया है। इसके अलावा गरम हवादीपा महता की अर्थ (ज़मीन), कमल हसन की हे राम भी भारत के विभाजन पर आधारित हैं।


https://youtu.be/43AShX_lMAA


Rajkumari Sanyogita history in hindi | Sanyogita history | Sanyogita Sati story

संयुक्ता, संयोगिता, संजूक्त, या संयूता के नाम से भी जाना जाता है, मध्ययुगीन वीर रोमांस में एक चरित्र है, जिसे पृथ्वीराज रासो कहते हैं, जो कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी और पृथ्वीराज चौहान की तीन पत्नियों में से एक थे। [1] पृथ्वीराज चौहान मध्ययुगीन भारत के लोककथाओं से रोमांस और शौर्य हैं, और यह भी त्रासदी का एक आंकड़ा है, जिसने पिथौरागढ़ और अजमेर की अपनी दो श्रेणियों से शासन किया है। पृथ्वीराज और संयुक्त रूप से प्यार भारत के सबसे लोकप्रिय मध्ययुगीन रोमांसों में से एक है, चंद बरदाई के महाकाव्य पृथ्वीराज रास (या चांद राइसा) में अमरता है, लेकिन संयुक्त प्रकरण की ऐतिहासिकता बहस का मामला है।
संयोगिता की ऐतिहासिकता बहस का मामला है। पृथ्वीराज रासो एक ऐतिहासिक अविश्वसनीय पाठ है, जिसे 16 वीं शताब्दी के बाद से राजपूत शासकों के संरक्षण में सुशोभित किया गया है। हालांकि, दशरथ शर्मा जैसे कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि अधिक विश्वसनीय पृथ्वीराज विजया, जो पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में बनाये गये थे, में भी सम्यक्त का एक संदर्भ है।
पृथ्वीराज विजया के 11 वें अध्याय में एक अधूरा विषय, पृथ्वीराज के गंगा नदी के किनारे पर रहने वाले एक अनाम महिला के प्रेम का उल्लेख करता है (जैसे संयुक्ता)। इस महिला को तिलोटामा के अवतार के रूप में उल्लेख किया गया है, एक महान अप्सरा (आकाशीय अप्सरा)। [4] हालांकि, यहां तक ​​कि अगर यह महिला समयुक्ता के समान है, तो पृथ्वीराज रासो का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, संयुका के अपहरण और विवाह के संबंध में पृथ्वीराज चौहान को।

Rajkumari Sanyogita history in hindi | Sanyogita history | Sanyogita Sati story.

Sanyukta, also known as Sanyogita, Sanjukta, or Samyukta, is a character in the medieval heroic romance Prithviraj Raso who is said to have been the daughter of Jaichand, the King of Kannauj, and one of three wives of Prithviraj Chauhan .[1] Prithviraj Chauhan is a popular figure of romance and chivalry from the folklore of medieval India, and also a figure of tragedy, who is said to have ruled from his twin capitals of Pithoragarh and Ajmer. The love between Prithviraj and Samyukta is one of India's most popular medieval romances, immortalized in Chand Bardai’s epic Prithviraj Raso (or, Chand Raisa), but the historicity of the Samyukta episode remains a matter of debate.
The historicity of Samyogita is a matter of debate. Prithviraj Raso is a historically unreliable text, having been embellished under the patronage of the Rajput rulers since the 16th century. However, some scholars such as Dasharatha Sharma believe that the more reliable Prithviraja Vijaya, which was composed during the reign of Prithviraj Chauhan, also contains a reference to Samyukta.
An unfinished theme in the 11th chapter of Prithviraja Vijaya refers to Prithviraj's love for an unnamed woman who lived on the banks of the Ganges river (just like Samyukta). This woman is mentioned as an incarnation of Tilottama, a legendary apsara (celestial nymph).[4] However, even if this woman is same as Samyukta, there is no concrete evidence to support the Prithviraj Raso narrative of Samyuka's abduction and marriage to Prithviraj Chauhan.

THANK YOU GUYS FOR WATCHING MY VIDEO.......
-----------------------------------------------------------------------------------------------------------
----------------------------------------------------------------------------------------------------
FOLLOW US ON:-
Twitter:- https://twitter.com/yeswecan8840
Google Plus:-https://plus.google.com/101382075059864733657

LIKE MY FACEBOOK PAGE :- https://www.facebook.com/Nishant-the-Youtuber-1284151424981792/https://youtu.be/iom5a8esJVU

https://youtu.be/iom5a8esJVU